UP Lift Act: उत्तर प्रदेश में लागू हुआ लिफ्ट कानून, मानने होंगे नियम, नियमित जांच कराना भी आवश्यक
UP Lift Act: यूपी लिफ्ट एक्ट लागू हो गया है। इसके तहत लोगों को लिफ्ट लगवाने से पहले और लिफ्ट लग जाने के बाद कुछ नियमों का बड़ी सख्ती से पालन करना होगा तभी उस इमारतों में लिफ्ट लगेगी। वहीं यह एक्ट यूपी सरकार लिफ्ट हादसे की रोकथाम के लिए लाई है। बता दें कि देश के 10 राज्यों दिल्ली, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक, असम, हरियाणा, केरल और पश्चिम बंगाल में लिफ्ट एक्ट पहले से लागू है लेकिन यूपी में अब लागू हुआ है।
हादसे के बाद लिया फैसला
नोएडा, ग्रेटर नोएडा में कई दफा बहुमंजिला इमारतों में लिफ्ट गिरने के हादसे सामने आ चुके हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार यह एक्ट लेकर आई है। सरकार ने लिफ्ट एक्ट 2024 को लागू कर दिया है।
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24 घंटे के भीतर देनी होगी सूचना
इस एक्ट के तहत लिफ्ट हादसा होने पर बिल्डिंग स्वामी को 24 घंटे के भीतर जिला मजिस्ट्रेट, संबंधित प्राधिकरण और स्थानीय कोतवाली को इसकी सूचना देनी होगी। वहीं दुर्घटना होने पर जिला मजिस्ट्रेट विद्युत निरीक्षक से पहले जांच कराएंगे। उसकी रिपोर्ट के बाद ही लिफ्ट दुरुस्त करने का कार्य शुरू किया जाएगा।
नियमित जांच कराना अनिवार्य
अब एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (AMC) करना अनिवार्य हो गया है, यानी कि अब बिल्डर को नियमित तौर पर लिफ्ट की जांच करानी होगी, जिसकी जानकारी प्राधिकरणों को देनी होगी।
एक्ट द्वारा लागू किए गए नियम
लिफ्ट या एस्कलेटर लगवाने के लिए मालिक को पहले संबंधित प्राधिकरण व प्रशासन से पंजीकरण कराना होगा। वहीं निजी और सार्वजनिक परीसर के लिए अलग-अलग पंजीकरण होगा। लिफ्ट लगने के बाद इसके संचालन से पहले राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी अधिकारी को इसकी सूचना जरुर देनी होगी।
एनुअल मेंटेनेंस कान्ट्रेक्ट जरुरी
संचालन से पहले ही एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रेक्ट लेना होगा जिसके तहत नियमित समय में देखरेख का कार्य कराना होगा, जिसकी जानकारी नियुक्त किए अधिकारी को देनी होगी। लिफ्ट में कोई खराबी आने पर तकनीकी टीम या किसी खराबी के दूर करने की दशा में एएमसी तकनीकी टीम से प्रमाण पत्र लेना होगा, जिसे अनुरक्षण लाग बुक में लिखना जरुरी होगा। आपातकालीन स्थिति में किसी के फंसने और सुरक्षित बाहर निकालने की स्थिति से निपटने के लिए साल में दो बार ड्रिल कराना होगा। एक्ट लागू होने के छह महीने के अंदर पंजीकरण कराना होगा।
30 दिनों के अन्दर होगा बदलाव
लिफ्ट एक्ट नियम के तहत यदि कोई बदलाव कराना है तो उसे 30 दिन में कराना होगा। प्रत्येक रजिस्ट्रेशन की अवधि लिफ्ट या एस्कलेटर के पूरे जीवनकाल के लिए होगी।
यात्रियों का जोखिम कवर- लिफ्ट बीमा
बिल्डिंग मालिक को सार्वजनिक लिफ्ट या एस्कलेटर के लिए अनिवार्य रूप से बीमा लेना होगा, जिससे दुर्घटना होने पर यात्रियों को जोखिम कवर मिल सके। ये राशि सरकार द्वारा मानकों के अनुरूप होगी।
दिव्यांगों के लिए यह सुविधा
सार्वजनिक परिसरों में लिफ्ट और एस्कलेटर दिव्यांगों के हित में होगी। लिफ्ट खराब होने की स्थिति में अंदर फंसे यात्रियों को बचाने के लिए लिफ्ट या एस्कलेटर में बचाव के लिए डिवाइस लगानी होगी। ये तकनीकी ऐसी होनी चाहिए कि लिफ्ट निकटतम लैंडिंग तल पर पहुंचे और दरवाजे खुल जाएं। वहीं सार्वजनिक स्थानों पर संचालित होने वाली लिफ्ट में सीसीटीवी कैमरा लगा होना चाहिए।